प्रश्नगत: in hand in dispute under consideration in
वाद: ism plea suit talk lawsuit theory doctrine thesis
उदाहरण वाक्य
1.
प्रत्यर्थी / वादी द्वारा प्रश्नगत वाद आज्ञापक व्यादेश एवं स्थायी निषेद्धाज्ञा हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2.
तब न्यायालय के कहने पर अपना पक्ष रखते हुए और पूर्व पारित आदेश दि. 26.02.05 का हवाला देते हुए प्रश्नगत वाद बिन्दु का पुनः निस्तारण किया जाना उचित नहीं है।
3.
धारा-14 से सम्बन्धित मामले प्रश्नगत वाद में प्रभावी नहीं है अतः यह वाद बिन्दु धारा 34 व 38 के संबंध में प्रतिवादीगण के पक्ष में सकारात्मक रूप से निर्णीत किया जाता है।
4.
प्रतिवादीगण द्वारा प्रतिवादपत्र की धारा-20 वाद सं0-1305 / 2002 में कहा गया है कि वादीगण प्रश्नगत वाद के माध्यम से विवादित भूमि का सर्वे कराना चाहते है जिसकी अधिकार राजस्व न्यायालय को ही है।
5.
ऐसी स्थिति में निगरानीकर्तागण का यह कथन कि प्रश्नगत वाद का मूल्यांकन विवादित भूमि की बाजारू कीमत पर किया जाना चाहिए था, उचित नहीं है, क्योंकि कृषि भूमि के संबध में यदि कोई विक्रय पत्र निष्पादित किया गया है, तो उस दशा में वाद दायर करने के लिए वाद का मूल्यांकन कृषि भूमि के वार्षिक लगान पर ही किया जाएगा।
6.
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता की लिखित बहस पेपर संख्या 56 क / 1 पत्रावली पर उपलब्ध है, जिसमें विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थीगण द्वारा यह कथन लिया गया है कि अपीलार्थीगण द्वारा निम्न न्यायालालय में प्रश्नगत वाद उनकी मंजूरशुदा भूमि की चहारदीवारी से प्रतिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा नष्ट किये जाने तथा उस हाथाबन्दी के मूल्य की क्षतिपूर्ति रू0 दस हजार दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया था जिसे प्रतिवादी ने इन्कार किया था।
7.
प्रश्नगत वाद में वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी संख्या 2 के रूप में पक्ष बनाया गया है किन्तु वादपत्र में इस तथ्य का अभिवचन नहीं किया गया है कि क्या कोई नोटिस अन्तर्गत धारा 89 अधिनियम संख्या 43 / 1995 के तहत भेजी गयी है या नहीं, और इसप्रकार उपरोक्त विधिक प्राविधानों के तहत वादपत्र निरस्त होने योग्य है और प्रतिवादवत्र प्रस्तुत किये जाने की कोई आवश्यकता नहीं है और इसप्रकार उपरोक्त प्रार्थनापत्र अन्तर्गत आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत संस्थित किया गया है।